KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने लैप्रोस्कोप यानी दूरबीन विधि से जटिल ऑपरेशन कर बच्चे को जन्मजात बीमारी से निजात दिलाने में कामयाबी हासिल की है। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से बच्चे के पित्त की नली में जन्मजात विकृति को दूर किया।
डॉक्टरों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद बच्चे को कम दिन अस्पताल में गुजारना पड़ा। बड़े चीरे से होने वाले ऑपरेशन के दर्द से भी बच्चे को बचाया गया।
गंभीर समस्या से जूझ रहा था मरीज
बाराबंकी निवासी आशाराम के सात साल के बेटे अंश को पेट दर्द और बार-बार उल्टी होने की समस्या थी। कई अस्पतालों में दिखाया। फायदा नहीं हुआ। लगातार बच्चे की तबीयत बिगड़ रही थी। शारीरिक विकास भी प्रभावित था। बच्चा शारीरिक रूप से काफी कमजोर भी था। थक हार कर परिजन बच्चे को लेकर KGMU में पीड़ियाट्रिक सर्जरी विभाग की ओपीडी में लेकर आए। यहां पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जेडी रावत के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ। डॉक्टरों ने खून व रेडियोलॉजी समेत अन्य जांचें कराई। जिसमें बच्चे को जन्मजात कोलेडोकल सिस्ट नामक बीमारी का पता चला है।
ट्यूब के बजाए बनी थैली
डॉ. जेडी रावत ने बताया कि इस बीमारी में पित्त कि नली विकृत हो जाती है। इसमें पित्त की ट्यूब के बजाय थैली बन जाती है। अभी तक इसका ऑपरेशन पेट में बड़ा चीरा लगाकर होता था। उन्होंने बताया कि पहली बार KGMU में दूरबीन विधि से ऑपरेशन किया गया। करीब पांच घंटे ऑपरेशन चला। पेट में बड़ा चीरा लगाने के बजाय सिर्फ चार महीन सुराख किए गए। इससे पित्त की थैलीनुमा थैली का निकाला गया। आंतों को बाइल डक्ट में जोड़ा गया।
यह रही ऑपरेशन करने वाली टीम
डॉ. जेडी रावत, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. पीयूष कुमार और डॉ. परीक्षित निरपेक्ष त्यागी शामिल रहे। एनीस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह, डॉ सतीश वर्मा, सिस्टर वंदना, अंजू और संजय ने सहयोग किया।