स्वतंत्रता दिवस पर विवेकानंद प्रेक्षागृह में हुआ कवि सम्मेलन

स्वतंत्रता दिवस पर विवेकानंद प्रेक्षागृह में हुआ कवि सम्मेलन

सोनभद्र: जिला प्रशासन द्वारा विवेकानंद प्रेक्षागृह में कवि सम्मेलन का आयोजन स्वतंत्रता दिवस समारोह के उपलक्ष्य में शाम को आयोजित किया गया जिसमें अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार अजयशेखर जिला सूचना अधिकारी तथा नगरपालिका सोनभद्र नगर अधिशासी अधिकारी के द्वारा दीपदान कर विधिवत शुभारंभ वाणी वंदना ईश्वर विरागी,,,मन पावन मां निर्मल कर दे से आगाज हुआ।

स्वतंत्रता दिवस पर विवेकानंद प्रेक्षागृह में हुआ कवि सम्मेलन

कार्यक्रम की शुरुआत जनपद के वरिष्ठ पत्रकार भोला नाथ मिश्र ने आमंत्रित कवियों को मंचासीन करके एवम सभी कवियों को अधिशाषी अधिकारी एवम जिला सूचना अधिकारी द्वारा अंगवस्त्र लेखनी पुस्तिका देकर सम्मानित करवाया।जानी मानी कवियत्री डा रचना तिवारी जिसको भारत की मिट्टी से रत्ती भर भी प्यार नही उसको भारत में रहने का थोड़ा भी अधिकार नही सुनाकर पूरे वातावरण को देश भक्ति मय कर दिया।वही ओज की कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने दिल में हिंदोस्तान रखती हूं गीता बाइबिल कुरान रखती हूं सुनाकर देशभक्ति का जज्बा जगाया।

कार्यक्रम के संचालक जाने माने कवि जगदीश पंथी ने कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए,,,शहीद के अर्थ बतावै के दिन हौ पन्द्रह अगस्त सुनाया। शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के निदेशक प्रदुम्न त्रिपाठीएड ने ,, तिरंगा तुझे हम कभीं झुकने नहीं देंगे,,मिट जायेंगे खुद तुझे मिटने नहीं देंगे सुनाया वाहवाही बटोरी।

प्रभात सिंह चंदेल ने जिगर में हिंद हांथ में तिरंगा है तो वहीं दिलीप सिंह दीपक ने तुम सब कुछ बेच दो लेकिन हिंदुस्तान मत बेचो सुनाकर सत्ता को नसीहत दी।शायर अब्दुल हई ने, रो के बुलबुल ने कहा कैद से रिहा न करो गुलसितां पर अभी सैयाद के पहरे होंगे गंभीर रचना देकर गतिज ऊर्जा प्रदान किया। धर्मेश चौहान एड ने देश पे मेरा सबकुछ तन मन धन समर्पित है सुनाकर राष्ट्र के प्रति अनुराग जगाया तो वहीं सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र गुरु ने कुर्बानी मांगता है ये देश आज तुमसे कुर्बानीया तुम दे दो लड़ जाओ दुश्मनों से सुनाकर देश की एकता और अखंडता को कायम रखने का संदेश दिया।

इसी प्रकार ईश्वर बिरागी, जयराम सोनी, सुधाकर स्वदेश प्रेम,दयानंद दयालू, दिवाकर द्विवेदी मेघ, प्रेमी बौद्ध,अनुपमा वाणी अमरनाथ अजेय, दीपक केसरवानी ने विविधता युक्त गीत गजल मुक्तक छंद सवैया श्रृंगार नवगीत लोकभाषा ओज वीर रस की कविताएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

वरिष्ठ कवि साहित्यकार पारस नाथ मिश्र ने अपनी कविता के माध्यम से आजादी के अमर सेनानियो के शौर्य को याद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मधुरिमा के निदेशक वरिष्ठ साहित्यकार अजयशेखर ने गरीबी भुखमरी अब न रहने पायेंगी यहां,, भाषणों का दाना रोज बांटा जा रहा,, सुनाकर तथा देश की दशा दिशा को रेखांकित करते हुए देश को सत्ता के केन्द्र में रखकर काम करने की नसीहत दी और आयोजन को विराम दिया। आभार कार्यकारी जिला सूचना अधिकारी अनिल सिंह ने एवम धन्यवाद ज्ञापित नगरपालिका अधिशासी अधिकारी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर सैकड़ों श्रोतागण देर शाम तक जमे रहे।

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