स्वस्थ समाज के लिए बच्चों का नशामुक्त होना जरूरी है। आज के बच्चे कल के कर्णधार हैं। इसलिए उनको हर हाल में नशे से दूर रखना होगा तभी हम स्वस्थ समाज की कल्पना कर सकते हैं। इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। यह बातें राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र शर्मा ने बुधवार को आयुक्त सभागार में ‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ आयोजित कार्यशाला के दौरान कहीं।

कार्यशाला का आयोजन महिला कल्याण विभाग और जिला प्रशासन ने किया । कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ. शर्मा ने कहा कि वैसे तो बच्चों को नशे से रोकने के लिए कई कानून हैं । यहां तक कि बच्चों को तम्बाकू उत्पाद व अन्य नशीली सामग्री बेचने पर भी प्रतिबंध है। इतना ही नहीं विद्यालयों के समीप नशीले वस्तुओं की दुकान खोलने पर भी रोक है। इस पर कड़ाई से अमल भी हो रहा है लेकिन सिर्फ नियम-कानूनों के बल पर बच्चों को नशे से दूर नहीं किया जा सकता। इसके लिए समाज में जागरूकता जरूरी है। न सिर्फ माता-पिता बल्कि अन्य अभिभावकों, पड़ोसियों, शिक्षकों के साथ ही समाज के हर व्यक्ति को इस बारे में सजग रहना होगा तभी हम इस दिशा में कामयाब हो सकते हैं। यह सब करने से पहले हमें खुद भी नशे से दूर रहना होगा तभी हम बच्चों को नशा करने से रोक सकेंगे।

कार्यशाला में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी ने कहा कि नशा समाज को दानव की तरह निगलने को तैयार है। इससे हमें बचना होगा। नशे से सिर्फ बच्चे का ही भविष्य नहीं बल्कि पूरा परिवार बर्बाद होता है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ई. अशोक कुमार यादव ने कहा कि बच्चों को नशे से बचाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। आज हम यह प्रण लें कि न तो हम खुद नशा करेंगे और न ही किसी और को नशा करने देंगे। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष स्नेहा उपाध्याय ने कहा कि हम सभी को समाज के एक सजग प्रहरी के रूप में आगे आना होगा तभी हम बच्चों को नशा मुक्त बना सकेंगे।

अपर जिलाधिकारी (नगर) गुलाब चन्द्र ने कहा कि नशे के खिलाफ युद्ध में हर एक व्यक्ति को योगदान करना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग नशे को स्टेटस सिम्बल के रूप में देखने लगे है। ऐसे लोगों के भ्रम को तोड़ना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि दूसरों को नशे से रोकने से पहले हमें खुद को आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना होगा तभी इस दिशा में कामयाबी मिलेगी। अपर पुलिस उपायुक्त ममता रानी ने कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उन्हें सुरक्षित, संरक्षित वातवरण देना हम सब की जिम्मेदारी है। ऐसा वातावरण बनाने के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा तभी हम अपने बच्चों को नशे से दूर रखने में कामयाब होंगे।

अपर जिलाधिकारी (नगर) गुलाब चन्द्र ने कहा कि नशे के खिलाफ युद्ध में हर एक व्यक्ति को योगदान करना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग नशे को स्टेटस सिम्बल के रूप में देखने लगे है। ऐसे लोगों के भ्रम को तोड़ना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि दूसरों को नशे से रोकने से पहले हमें खुद को आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना होगा तभी इस दिशा में कामयाबी मिलेगी। अपर पुलिस उपायुक्त ममता रानी ने कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उन्हें सुरक्षित, संरक्षित वातवरण देना हम सब की जिम्मेदारी है। ऐसा वातावरण बनाने के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा तभी हम अपने बच्चों को नशे से दूर रखने में कामयाब होंगे।
गोष्ठी में जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह ने कहा कि नशा मुक्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनसीडी कार्यक्रम के तहत लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत विद्यालयों समेत अन्य स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन होता है। उन्होंने कहा कि नशे की लत छुड़ानी है तो मण्डलीय चिकित्सालय के कक्ष संख्या 50 में सम्पर्क किया जा सकता है।
गोष्ठी में सहायक श्रमआयुक्त देवव्रत यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविन्द पाठक के अलावा जिला आबकारी अधिकारी ने भी विचार व्य्क्त किया और नशा मुक्ति के खिलाफ अपने-अपने विभागों की ओर से चलाये जा रहे अभियान की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर पाण्डेय व अतिथियों का स्वागत संरक्षण अधिकारी, निरूपमा सिंह एवं विधि सह परिवीक्षा अधिकारी नम्रता श्रीवास्तव ने किया।
गोष्ठी में सहायक श्रमआयुक्त देवव्रत यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविन्द पाठक के अलावा जिला आबकारी अधिकारी ने भी विचार व्य्क्त किया और नशा मुक्ति के खिलाफ अपने-अपने विभागों की ओर से चलाये जा रहे अभियान की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर पाण्डेय व अतिथियों का स्वागत संरक्षण अधिकारी, निरूपमा सिंह एवं विधि सह परिवीक्षा अधिकारी नम्रता श्रीवास्तव ने किया।